Lohri 2024: क्यों मनाया जाता है लोहड़ी का त्यौहार? जानें ऐतिहासिक और पौराणिक मान्यता
लोहड़ी का त्यौहार तो सभी मनाते हैं. लेकिन, इसके पीछे के कारणों के बारे में कम ही लोग जानते हैं. इसलिए आज हम आपको लोहड़ी से जुड़ी कुछ ऐतिहासिक और पौराणिक मान्यताओं के बारे में बता रहे हैं.
. भारत के बहुत से हिस्सों में ये त्यौहार मनाया जाता है, लेकिन इसके पीछे की कथा कम ही लोग जानते हैं. आज हम आपको इसके पीछे की कहानी बता रहे हैं कि आखिर लोहड़ी मनाई क्यों जाती है. इसके पीछे की मान्यता और इतिहास क्या है.
मौसम और फसल से जुड़ा है पर्व (Why We Celebrate Lohri)
वैसाखी त्योहार की तरह लोहड़ी का सबंध भी फसल और मौसम से है. इस दिन से गन्ने की फसल बोई जाती है. इससे पहले रबी की फसल काटकर घर में रखी जाती है. इस दिन लोहड़ी की अग्नी में उन्ही कटी फसलों की खुशियां मनाई जाती हैं. हालांकि, इसके पीछे कुछ पौराणिक और ऐतिहासिक मान्यताएं भी हैं. आइए जानते हैं वो क्या हैं.
वैसाखी त्योहार की तरह लोहड़ी का सबंध भी फसल और मौसम से है. इस दिन से गन्ने की फसल बोई जाती है. इससे पहले रबी की फसल काटकर घर में रखी जाती है. इस दिन लोहड़ी की अग्नी में उन्ही कटी फसलों की खुशियां मनाई जाती हैं. हालांकि, इसके पीछे कुछ पौराणिक और ऐतिहासिक मान्यताएं भी हैं. आइए जानते हैं वो क्या हैं.
ऐतिहासिक मान्यता
अकबर के समय में दुल्ला भट्टी पंजाब प्रान्त का सरदार था. उसे पता चला की संदलबार (वर्तमान पाकिस्तान) में लड़कियों की बाजारी होती है. तब दुल्ला ने इस का विरोध किया और लड़कियों को दुष्कर्म से बचाया कर उनकी शादी करवा दी. इस विजय के दिन के कारण भी लोग लोहड़ी का पर्व मनाते हैं.
ये मान्यता भी है कि लोहड़ी का त्यौहार संत कबीर की पत्नी लोई की याद में मनाया जाता है.
पौराणिक मान्यता
सती के त्याग के रूप में यह त्योहार मनाया जाता है. कथानुसार जब प्रजापति दक्ष के यज्ञ की आग में कूदकर सती ने आत्मदाह कर लिया था. उसी दिन की याद में यह पर्व मनाया जाता है.
- एक कथा कथा के अनुसार, कंस ने भगवान श्रीकृष्ण को मारने के लिए नंदगांव में लोहिता नाम की राक्षसी को भेजा था. उस समय सब संक्रांति की तैयारी कर रहे थे. कृष्णजी ने लोहिता का ही वध कर दिया. इस वजह से भी मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी मनाया जाता है.
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